Thursday, 14 February 2019

एक विद्यार्थी की किसी समस्या का अध्ययन (Case Study of a Student)


एक विद्यार्थी की किसी समस्या का अध्ययन
(Case Study of a Student)
1.     
छात्राध्यापक का नाम

2.     
पाठ्यक्रम का नाम
बी. एड.
3.     
सत्र एवं सेमेस्टर
2017-18, तृतीय
4.     
नामांकन संख्या

5.     
विद्यालय का नाम

6.     
विद्यालय के प्रधानाचार्य का नाम

7.     
विद्यालय पर्यवेक्षिका का नाम



(Case Study of a Student)
(अ)
विद्यार्थी का विवरण

1.      
विद्यार्थी का नाम
राजा केतवास
2.      
बालक/बालिका
बालक
3.      
कक्षा
8 वीं
4.      
कक्षा में विद्यार्थियों की कुल संख्या

(ब)
विद्यार्थी की पारिवारिक पृष्ठभूमि

1.      
माता का नाम
गुड़िया लक्ष्मी
2.      
माता की शैक्षणिक योग्यता
मैट्रिक
3.      
माता का कार्यक्षेत्र
गृह कार्य
4.      
पिता का नाम
उमेश मुनिलाल
5.      
पिता की शैक्षणिक योग्यता
8 वीं पास
6.      
पिता का कार्यक्षेत्र
पेंटिंग
7.      
अभिभावक का नाम
उमेश मुनिलाल
8.      
अभिभावक की शैक्षणिक योग्यता
8 वीं पास
9.      
अभिभावक का कार्यक्षेत्र
पेंटिंग
10.      
माता/पिता अभिभावक की मासिक आय
15000 रु.
11.      
एकल/ संयुक्त परिवार
एकल
12.      
भाई/बहन की संख्या
भाई-2       बहन-2
13.      
अपने भाई/बहनों के बीच की मूल स्थिति (बड़ा/बड़ी, मझला/मझली, छोटा/छोटी)
बड़ा
14.      
विद्यार्थियों का स्थानीय पता
बोरगांव टेकरी, वर्धा.  

(स) समस्या और समाधान का विवरण
1. समस्या अध्ययन का उद्देश्य
(क.) कक्षा में पठन-पाठन का लाभ सभी विद्यार्थियों तक पहुंचाना।
(ख.) विद्यार्थी में मौजूद कमियों का पता लगाना।
(ग.) कमियों को दूर करने के तरीकों को खोजना।
(घ.) भविष्य में इस तरह की समस्या को आसानीपूर्वक सुलझाना।
(ङ.) अन्य शिक्षकों से इस कारणों पर विचार-विमर्श करना।
2. समस्या की प्रकृति शैक्षिक/सह-शैक्षिक/पाठ-सहगामी क्रियाकलाप संबंधित/नियमित/ समयबद्धता आदि। (जैसे- लिखना, सुनना, पढ़ना, उपस्थिति), संवेगात्मक या भावात्मक असंतुलन, मनोरंजन, खेल-कूद संबंधित, सहपाठियों के साथ समायोजन इत्यादि।
 (i) शैक्षिक-
लिखना, पढ़ना एवं उपस्थिति संबंधी समस्या। यह बालक बोले गए शब्दों को नहीं लिख पाता है। श्यामपट्ट पर लिखे हुए वाक्यों को लिख लेता है। पुस्तक पढ़ने में दिक्कत आती है।
(ii) सह-शैक्षिक (पाठ्य-सहगामी क्रियाकलाप संबंधित)-
सहपाठियों के साथ व्यवहार कक्षा में ठीक देखने को नहीं मिलता है। किसी को भी कक्षा में बाधा पहुंचाते रहता है। चल रही कक्षा में बाधा उत्पन्न करता है। पढ़ाई जाने वाली पाठ को ध्यानपूर्वक नहीं सुनता है न ही होमवर्क बना के लाता है।
(iii) नियमितता-
विद्यालय प्रत्येक दिन नहीं आता है। जब कभी आता भी है तो कक्षा छोड़ कर बाहर खेलने चला जाता है। समझाने का भी असर नहीं होता है।
(iv) समयबद्धता-
समयबद्धता के प्रति लापरवाह है। पढ़ाई इस छात्र के लिए टाइम पास है। पुछे जाने पर की विद्यालय क्यों आते हो तो कहना है कि ऐसे ही किसी तरह मैट्रिक पास हो जाएँ। पढ़ने से क्या होगा नोकरी भी तो नहीं मिलती है। इस तरह कि पढ़ाई पढ़कर क्या होगा कोई काम भी तो नहीं मिलता है।
(v) मनोभाव/मनोरंजन-
 चंचल, खेलने/सिनेमा देखने में मन लगाना।
(vi) खेल-कूद या अन्य प्रतिस्पर्धा संबंधित-
खेल-कूद या अन्य प्रतिस्पर्धा संबंधित जागरूकता नहीं दिखती है। सिर्फ खेलने कि रुचि दिखती है।
(vi) सुनना, बोलना, लिखना, पढ़ना-
सुनने में कोई दिक्कत नहीं है। बोलता भी है। लिखने में समस्या आती है, देखकर लिखता है। पढ़ने में समस्या आती है।
(3) विद्यार्थी की समस्याओं के संभावित कारण-
विद्यार्थी के घर का वातावरण पढ़ाई योग्य नहीं है। इनके पिताजी प्रत्येक दिन 9 बजे काम पर चले जाते हैं और वे रात के 9 बजे के करीब घर वापस आते हैं। विद्यार्थी की माताजी घर के कामों में व्यस्त रहती है। कोई घर में पढ़ाई से संबंधित देखरेख करने वाले नहीं है। छोटा घर है। दो कमरे हैं उसी में सब रहते हैं। टेलीविज़न चालू रहता है। घर के आस-पास का वातावरण पढ़ने योग्य नहीं है। इस विद्यार्थी के साथी एवं खुद नशाखोरी के रूप में खर्रा, तंबाकू, सिगरेट इत्यादि का सेवन करते हैं।
(4) विद्यार्थी की क्षमताएँ-     
खेलना, खेल के द्वारा पढ़ना, कहानी सुनना, गाना सुनना, फिल्म देखना, देख-देख के लिखना, पोस्टर या चित्र द्वारा पढ़ना इत्यादि।
(5) समस्या के समाधान हेतु छात्राध्यापक द्वारा विद्यार्थी के साथ किए गए कार्य का विवरण-
कक्षा में विद्यार्थी को मन लगाने के लिए पोस्टर का प्रयोग, मानचित्र का प्रयोग, चित्र का प्रयोग, वीडियो दिखाना, चित्र बनवाना, जीवन से संबंधित सुझाव देना। पढ़ने के प्रति जागरूकता उत्पन्न करना। जीवन में पढ़ाई का क्या महत्व है रुचि पैदा करना। खेल-खेल द्वारा पढ़ाना। चार-चार छात्रों का ग्रुप बनाकर समस्या समाधान एवं विभिन्न प्रकरण पर राय जानना।
(6) छात्राध्यापक द्वारा किए गए कार्य का प्रभाव-
विभिन्न तरीके का प्रयोग करने से विद्यार्थी में पढ़ने के प्रति रुचि जगी है। वीडियो दिखाने के बाद प्रश्न करने पर उसके उत्तर बताने लगे हैं।
(7) विद्यार्थी-हित में छात्रध्यापक द्वारा प्रस्तावित सुझाव: 
 (i) शिक्षकों के लिए सुझाव-
शिक्षकों के लिए सुझाव यह है कि विद्यार्थी को पढ़ने में मन नहीं लगता है। कक्षा में पढ़ाई को रोचक बनाकर पढ़ाने से इस तरह के विद्यार्थी भी पढ़ते हैं। पढ़ने और लिखने कि समस्या है, उच्चारण सही से नहीं कर पाता है इसपर ध्यान देने कि जरूरत है। कक्षा को रोचक बनाने के लिए पोस्टर, वीडियो, कहानी, क्षेत्रभ्रमण का प्रयोग करने से उचित लाभ होगा।
(ii) अभिभावकों के लिए सुझाव-
अभिभावकों के लिए सुझाव यह है कि घर में पढ़ाई का वातावरण तैयार करें, टेलीविज़न का प्रयोग कम करें। विद्यार्थी क्या करता है उसकी निगरानी रखें, कहाँ जाता है, क्या करता है किससे मिलता है इत्यादि। होमवर्क में क्या दिया गया है नोटबुक जांच करें। प्रत्येक दिन विद्यालय में क्या-क्या पढ़ाई हुई उसकी जांच करें।

कक्षा-शिक्षक का हस्ताक्षर                                 छात्राध्यापक का हस्ताक्षर

प्रधानाचार्य का हस्ताक्षर                        विद्यालय पर्यवेक्षिका का हस्ताक्षर 


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