Thursday, 14 February 2019

क्रियात्मक अनुसंधान, सामाजिक विज्ञान विषयों के प्रति विद्यार्थियों की उदासीनता (स्वावलंबी माध्यमिक विद्यालय के विशेष संदर्भ में)


सामाजिक विज्ञान विषयों के प्रति विद्यार्थियों की उदासीनता
(स्वावलंबी माध्यमिक विद्यालय के विशेष संदर्भ में)
विषय प्रवेश-
विद्यालय अनुभव कार्यक्रम के दौरान यह देखने को मिला था कि विद्यार्थी सामाजिक विज्ञान के विषयों (इतिहास, भूगोल, नागरिकशास्त्र) की पढ़ाई के प्रति बहुत ही उदासीन है। विद्यार्थी गणित, विज्ञान जैसे विषयों में ज्यादा रुचि लेते हैं। कक्षा के विद्यार्थी सामाजिक विज्ञान के विषयों की पढ़ाई के समय कक्षा से बाहर चले जाते हैं। यह विषय विद्यार्थियों को रटना पड़ता है तथा विद्यार्थियों का मानना है कि रटा हुआ याद नहीं रहता है, भूल जाते हैं। उसमें भी सन को याद रखना कठिन का कार्य है। यहाँ परीक्षा में पुछे जाने वाले प्रश्न भी पुस्तक से हूबहू लिए जाते है। वर्तमान से जोड़कर तथा विद्यार्थियों के अनुभव को शामिल कर प्रश्न नहीं पुछे जाते हैं।      
उद्देश्य-
Ø सामाजिक विज्ञान विषयों के प्रति उदासीनता के कारणों की खोज करना।
Ø सामाजिक विज्ञान के विषयों को रुचिकर बनाना।
अनुसंधान प्रश्न-
·       सामाजिक विज्ञान की कक्षा में शिक्षक कैसे पढ़ाते हैं?
·       क्या शिक्षक शिक्षण सहायक सामग्री का प्रयोग करते हैं?
·       सामाजिक विज्ञान पढ़ाते समय विद्यार्थियों को कहाँ पढ़ाते हैं?
·       क्या शिक्षक विद्यार्थियों को क्षेत्र अध्ययन के लिए कहीं ले जाते हैं?
·       क्या योग्य शिक्षक हैं?
·       क्या यहाँ के विद्यार्थी गरीब पृष्ठभूमि से हैं?
·       क्या विद्यालय में सामाजिक विज्ञान का लैब है।
·       क्या विद्यालय में पुस्तकालय है?
·       परीक्षा में किस प्रकार के प्रश्न पुछे जाते हैं?
·       सामाजिक विज्ञान विषयों की रोज पढ़ाई होती है?
·       कितनी देर तक विद्यार्थियों को अपने अनुसार खेलने दिया जाता है?
·       क्या छात्रों में भूलने की प्रवृत्ति है?
·       क्या विद्यार्थियों में सामाजिक विज्ञान के प्रति मिथ्य मौजूद है?
अनुसंधान की उपयोगिता
          यह अनुसंधान कार्य उन सभी शिक्षकों के लिए उपयोगी है जो सामाजिक विज्ञान के विषयों को पढ़ाते हैं।
अनुसंधान की सीमा
§  स्वावलंबी माध्यमिक विद्यालय, वर्धा के क्षेत्र में सीमित रहेगा।
§  यह सामाजिक विज्ञान के विषयों तक सीमित है।
§  यह कक्षा 8 तक सीमित है।
अनुसंधान प्रविधि   
यह अनुसंधान कार्य कक्षा/विद्यालय अवलोकन, शिक्षकों से साक्षात्कार, विद्यालय प्रबंधक/विद्यार्थियों से बातचीत द्वारा पूर्ण किया गया है।
समस्या के कारणों का विश्लेषण    
क्रम सं.
कारण
साक्ष्य
तथ्य/अनुमान
नियंत्रण (हाँ/नहीं)
प्राथमिकता
1.       
पढ़ाने का तरीका (पुस्तक से)
अवलोकन
तथ्य
हाँ
12
2.       
शिक्षण सहायक सामाग्री का प्रयोग नहीं
अवलोकन
तथ्य
हाँ
1
3.       
विद्यार्थियों को सामाजिक विज्ञान के विषयों को कक्षा में ही पढ़ाना
अवलोकन
तथ्य
हाँ
11
4.       
सामाजिक विज्ञान के विषयों को पढ़ाते समय अध्ययन क्षेत्र नहीं ले जाना।
अवलोकन
तथ्य
हाँ
2
5.       
योग्य शिक्षक का अभाव  
अवलोकन
अनुमान  
नहीं
3
6.       
विद्यार्थी गरीब पृष्ठभूमि से हैं
अवलोकन
अनुमान
नहीं
4
7.       
सामाजिक विज्ञान का लैब नहीं है
अवलोकन
तथ्य  
नहीं
5
8.       
 पुस्तकालय में सामाजिक विज्ञान की पुस्तक पर्याप्त नहीं
है
अवलोकन
तथ्य  
नहीं
6
9.       
परीक्षा में सामाजिक विज्ञान विषयों में पुछे जाने वाले प्रश्न सूचनाओं पर आधारित
अवलोकन
तथ्य
नहीं
7
10.   
प्रत्येक दिन सामाजिक विज्ञान विषयों की पढ़ाई नहीं होती है
अवलोकन
तथ्य
नहीं
8
11.   
छात्रों में भूलने की प्रवृति मौजूद है
अवलोकन
अनुमान
नहीं
9
12.   
सामाजिक विज्ञान के प्रति मिथ्य मौजूद है
अवलोकन
अनुमान
नहीं
10

क्रियात्मक परिकल्पना का निर्माण (Formulation of Action Hypothesis)
1.     शिक्षण सहायक सामग्री का प्रयोग करना।
2.     सामाजिक विज्ञान के विषयों को पढ़ाते समय अध्ययन क्षेत्र में विद्यार्थियों को लेकर जाना।
3.     विद्यालय प्रबंधन को कुशल शिक्षकों का प्रस्ताव देना।
4.     विद्यालय प्रबंधन को विद्यार्थियों की पृष्ठभूमि से अवगत कराना।
5.     सामाजिक विज्ञान प्रयोगशाला का निर्माण करना।
6.     विद्यालय प्रबंधन को पुस्तकालय में सामाजिक विज्ञान की पुस्तकों से अवगत कराना।
7.     विद्यालय में आयोजित होने वाली परीक्षाओं के प्रश्नपत्रों में ज्ञानात्मक, बोधात्मक, अनुप्रयोगात्मक प्रश्नों को शामिल कराना।  
8.      प्रत्येक दिन सामाजिक विज्ञान विषयों की पढ़ाई करवाना।
9.     छात्रों में भूलने की प्रवृति से निजात दिलाने के लिए भाषण प्रतियोगिता, तक्षण भाषण, क्विज प्रतियोगिता, समूह साथी अध्ययन पर बल देना।
10. विद्यार्थियों में सामाजिक विज्ञान के प्रति मौजूद मिथ्य को समाप्त करना।  
11.  सामाजिक विज्ञान के विषयों को आवश्यकतानुसार कक्षा से बाहर अर्थात क्षेत्र भ्रमण द्वारा पढ़ाना।
12.  सामाजिक विज्ञान की कक्षा में शिक्षक द्वारा पाठ्यपुस्तक का प्रयोग नहीं करने पर बल देना।
परिकल्पना का परीक्षण (Testing of Hypothesis)
क्रम सं.
क्रियाएँ
विधि
साधन
समय
1.         
शिक्षण सहायक सामग्री का प्रयोग करना।
सामाजिक विज्ञान शिक्षक से बातचीत कर शिक्षण सहायक सामाग्री का प्रयोग किया जाएगा।
वीडियो, लैपटॉप, ICT लैब का प्रयोग, पोस्टर इत्यादि।
15  दिन
2.         
सामाजिक विज्ञान के विषयों को पढ़ाते समय अध्ययन क्षेत्र में विद्यार्थियों को लेकर जाना।
विद्यालय प्रबंधक से बातचीत कर प्रकरण के अनुसार विद्यार्थियों को अध्ययन क्षेत्र में लेकर जाया जाएगा।
शिक्षक/छात्राध्यापक विद्यार्थियों को नजदीक के क्षेत्र में, जो 2 किलो मीटर के क्षेत्र में पड़ता हो लेकर जाएंगे।
10 दिन
3.         
कुशल शिक्षकों का प्रस्ताव देना।

विद्यालय प्रबंधक से बातचीत करना।
विद्यालय प्रबंधक
2 दिन
4.         
विद्यार्थियों की पृष्ठभूमि से अवगत कराना।

विद्यालय प्रबंधक से बातचीत
विद्यालय प्रबंधक
2 दिन
5.         
सामाजिक विज्ञान प्रयोगशाला का निर्माण करना।

विद्यालय प्रबंधक एवं अन्य शिक्षकों के साथ मिलकर प्रयोगशाला स्थापित की जाएगी।
विद्यालय प्रबंधक/शिक्षक/छात्राध्यापक  
10 दिन
6.         
पुस्तकालय में सामाजिक विज्ञान की पुस्तकों से अवगत कराना।

विद्यालय प्रबंधक को सामाजिक विज्ञान की पुस्तकों की कमियों का सूची बनाकर देना। 
विद्यालय प्रबंधक/छात्राध्यापक
5 दिन
7.         
विद्यालय में आयोजित होने वाली परीक्षाओं के प्रश्नपत्रों में ज्ञानात्मक, बोधात्मक, अनुप्रयोगात्मक प्रश्नों को शामिल कराना।
विद्यालय प्रबंधक एवं अन्य शिक्षकों से चर्चा कर परीक्षा के प्रश्नपत्रों में शामिल किया जाएगा।
विद्यालय प्रबंधक/शिक्षक /छात्राध्यापक
2 दिन
8.         
प्रत्येक दिन सामाजिक विज्ञान विषयों की पढ़ाई करवाना।

समय सारणी प्रभारी से मिलकर कार्य करना।
समय सारणी प्रभारी/छात्राध्यापक
2 दिन
9.         
छात्रों में भूलने की प्रवृति से निजात दिलाने के लिए भाषण प्रतियोगिता, तक्षण भाषण, क्विज प्रतियोगिता, समूह साथी अध्ययन, परियोजना कार्य कराना।
शिक्षक के साथ बातचीत कर कार्य करना।
शिक्षक/छात्राध्यापक
10 दिन
10.      
विद्यार्थियों में सामाजिक विज्ञान के प्रति मौजूद भ्रांति को समाप्त करना। 

विद्यार्थियों से बातचीत कर प्रचलित भ्रांति को दूर करना।
विद्यार्थी/छात्राध्यापक
2 दिन
11.      
सामाजिक विज्ञान के विषयों को आवश्यकतानुसार कक्षा से बाहर अर्थात क्षेत्र भ्रमण द्वारा पढ़ाना।

विद्यालय प्रबंधक से अनुमति लेकर कार्य करना।
विद्यालय प्रबंधक/छात्राध्यापक
10 दिन
12.      
सामाजिक विज्ञान की कक्षा में शिक्षक द्वारा पाठ्यपुस्तक का प्रयोग नहीं करने पर बल देना।
शिक्षकों से बातचीत कर कार्य करना।
शिक्षक/छात्राध्यापक
2 दिन

आकड़ों का संग्रह
1.     शिक्षण सहायक सामाग्री के प्रयोग से प्राप्त आकड़ें-
शिक्षण सहायक सामग्री के प्रयोग के बाद विद्यार्थियों में बदलाव देखने को मिला। इसका दो बार आकड़ा इकट्ठा किया गया। पहला शिक्षण सहायक सामग्री प्रयोग के पहले और प्रयोग के बाद। शिक्षण सहायक सामग्री के प्रयोग से पहले पूछा गया कि आपकी कक्षा में शिक्षक वीडियो, पोस्टर, चित्र, पीपीटी द्वारा पढ़ाते हैं, तो सभी विद्यार्थियों का कहना था कि पुस्तक से पढ़ाते हैं। शिक्षण सहायक सामाग्री प्रयोग के बाद विद्यार्थियों से पूछा गया कि आपको सामाजिक विज्ञान विषय पढ़ने में किस विधि द्वारा ज्यादा समझ में आता है। वीडियो, पोस्टर, चित्र, मैप, पीपीटी या किताब द्वारा सिर्फ पढ़ाने से। सभी विद्यार्थियों का कहना था कि मुझे वीडियो, पोस्टर, मैप, चित्र, पीपीटी द्वारा ज्यादा समझ में आता है।
2.     सामाजिक विज्ञान के विषयों को पढ़ाते समय अध्ययन क्षेत्र में विद्यार्थियों को लेकर जाने के बाद प्राप्त आकड़ें-   
सामाजिक विज्ञान के विषयों को पढ़ाते समय अध्ययन क्षेत्र में विद्यार्थियों को लेकर जाने के बाद विद्यार्थियों में बदलाव देखने को मिला। इसका दो बार आकड़ा इकट्ठा किया गया। पहला अध्ययन क्षेत्र ले जाने के पहले और अध्ययन क्षेत्र ले जाने के बाद। अध्ययन क्षेत्र ले जाने के पहले पूछा गया कि आपलोगों को शिक्षक कक्षा के बाहर ले जाकर या स्थान दिखाकर पढ़ाते हैं, तो सभी विद्यार्थियों का कहना था कि कक्षा के बाहर ले जाकर नहीं पढ़ाते हैं। अध्ययन क्षेत्र में ले जाने के बाद विद्यार्थियों से पूछा गया कि आपने अध्ययन क्षेत्र में आकार ज्यादा सीखा कि किताब द्वारा पढ़ाने से ज्यादा सीखा। सभी विद्यार्थियों का कहना था कि क्षेत्र अध्ययन द्वारा ज्यादा सीखने को मिलता है।
3.     कुशल शिक्षकों का प्रस्ताव द्वारा प्राप्त आकड़ें-
कुशल शिक्षकों का प्रस्ताव देने पर विद्यालय प्रबंधन ने सामाजिक विज्ञान को पढ़ाने की ज़िम्मेदारी छात्राध्यापक को दे दी। छात्राध्यापक द्वारा किए गए शिक्षण कार्य के बाद परीक्षा द्वारा आकड़ों को इकट्ठा किया गया। कक्षा में उपस्थित दस विद्यार्थियों का टेस्ट लिया गया। इसमें सभी विद्यार्थियों 70 प्रतिशत से ऊपर अंक आए।
4.     विद्यालय प्रबंधन को विद्यार्थियों की पृष्ठभूमि से अवगत कराने के बाद प्राप्त आकड़ें-
विद्यालय प्रबंधन को विद्यार्थियों की पृष्ठभूमि से अवगत कराया गया कि इस विद्यालय में पढ़ने वाले ज़्यादातर विद्यार्थी गरीब पृष्ठभूमि के हैं। इनके अभिभावक पढ़ाई से संबंधित व्यय करने में असमर्थ हैं। इनको ज्यादा से ज्यादा विद्यालय द्वारा सुविधा प्रदान कि जानी चाहिए। विद्यालय प्रबंधन द्वारा विद्यार्थियों को पुस्तक, साइकल, मिड-डे-मिल (सुधार कर), पोशाक, नोटबुक, कलम दिए गए।
5.     सामाजिक विज्ञान प्रयोगशाला निर्माण के बाद प्राप्त आकड़ें-
विद्यालय प्रबंधन से सलाह लेकर प्रयोगशाला का निर्माण किया गया। यह निर्माण अस्थायी था। कक्षा में ही चित्र, एतिहासिक पैलेस, मानचित्र, घटना को दिखाया गया। इसके प्रयोग से विद्यार्थियों में सकारात्मक परिणाम मिले।
6.     पुस्तकालय में सामाजिक विज्ञान की पुस्तकों से अवगत कराने के बाद प्राप्त आकड़ें-
इसके संतोषजनक आकड़ें नहीं मिले कारण यह था कि विद्यालय प्रबंधन द्वारा इसपर ध्यान नहीं दिया गया। फंड नहीं होने के कारण इसपर कार्य नहीं किए गए।
7.     विद्यालय में आयोजित होने वाली परीक्षाओं के प्रश्नपत्रों में ज्ञानात्मक, बोधात्मक, अनुप्रयोगात्मक प्रश्नों को शामिल कराने के बाद प्राप्त आकड़ें-
इस प्रश्नों के प्रयोग से विद्यार्थियों का मानना था कि इन प्रश्नों का उत्तर अपने मन से लिखना पड़ता है। रटने कि जरूरत नहीं होती है।
8.     प्रत्येक दिन सामाजिक विज्ञान विषयों की पढ़ाई करवाने से प्राप्त आकड़ें-
विद्यालय प्रबंधन प्रत्येक दिन सामाजिक विज्ञान के विषयों को पढ़ाने से राजी हो गए थे लेकिन और सभी विषयों को देखते हुए सप्ताह में तीन दिन ही पढ़ाने कि बात को स्वीकारा गया। प्राप्त आकड़ें संतोषजनक मिले।
9.     छात्रों में भूलने की प्रवृति से निजात दिलाने के लिए भाषण प्रतियोगिता, तक्षण भाषण, क्विज प्रतियोगिता, समूह साथी अध्ययन, परियोजना कार्य कराने के बाद प्राप्त आकड़ें-
इस कार्य में विद्यार्थियों ने हिस्सा लिया। विद्यार्थी इन कार्यों में प्रथम, द्वितीय, तृतीय स्थान भी प्राप्त किए। इन कार्यों में विद्यार्थियों कि दिलचस्पी बढ़ी है, देखी गयी।
10.  विद्यार्थियों में सामाजिक विज्ञान के प्रति मौजूद भ्रांति समाप्त होने के बाद प्राप्त आकड़ें-
विद्यार्थियों में कई भ्रांति प्रचलित थे, जैसे- सामाजिक विज्ञान के विषय को रटना पड़ता है, रात में पढ़ो दिन में साफ, इस विषय का कोई भविष्य नहीं है इत्यादि। इस तरह कि भ्रांति समाप्त हो गयी।
11. सामाजिक विज्ञान के विषयों को आवश्यकतानुसार कक्षा से बाहर अर्थात क्षेत्र भ्रमण द्वारा पढ़ाने के बाद प्राप्त आकड़ें-
जिस प्रकरण को कक्षा के बाहर अर्थात अध्ययन क्षेत्र में ले जाकर पढ़ाया गया विद्यार्थियों को ज्यादा समझ में आया। विद्यार्थियों ने पुस्तक से हटकर भी ज्ञान प्राप्त किए। विद्यार्थियों का कहना था कि इस तरह कि पढ़ाई से कभी भी नहीं भूल सकते हैं।
12. सामाजिक विज्ञान की कक्षा में शिक्षक द्वारा पाठ्यपुस्तक का प्रयोग नहीं करने पर बल देने के बाद प्राप्त आकड़ें-
इसमें यह देखने को मिला कि विद्यार्थियों का ध्यान नहीं भटकता है। विद्यार्थियों का ध्यान शिक्षक द्वारा बताए गए कार्यों पर रहता है। प्रभाव संतोषजनक था।
आकड़ों का विश्लेषण (Analysis of Data)-
प्रथम आकड़ों के विश्लेषण से यह पता चलता है कि कक्षा में सामाजिक विज्ञान पढ़ाते समय प्रकरण के अनुसार शिक्षण सहायक सामाग्री का होना अति आवश्यक है।
  शिक्षण सहायक सामग्री के प्रयोग से सभी विद्यार्थियों में पढ़ने के प्रति रुझान बढ़ा है। आसानी से समझ जाते हैं। याद करने कि भी जरूरत नहीं होती है।
द्वितीय आकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि सामाजिक विज्ञान के विषयों को पढ़ाते समय अध्ययन क्षेत्र में लेकर जाने के बाद विद्यार्थियों में बदलाव देखने को मिलता है।
          इसमें सभी विद्यार्थियों का कहना था कि क्षेत्र अध्ययन द्वारा ज्यादा सीखने को मिलता है।
तृतीय आकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि कुशल शिक्षकों का होना अत्यंत आवश्यक है। कुशल शिक्षक द्वारा पढ़ाए गए पाठ की जांच से सभी विद्यार्थियों 70 प्रतिशत से ऊपर अंक आए, जो संतोषजंक है।
चतुर्थ आकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि विद्यार्थियों को पुस्तक, साइकल, मिड-डे-मिल (सुधार कर), पोशाक, नोटबुक, कलम दिए जाने से विद्यार्थियो को इन सब कमियों से जूझना नहीं पड़ता है। पढ़ाई मन लगाकर कराते हैं।
पंचम आकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि सामाजिक विज्ञान प्रयोगशाला निर्माण से विद्यार्थियों में सकारात्मक परिणाम मिलते है।
षष्ठ आकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि फंड नहीं होने के कारण इसपर कार्य नहीं किए गए।
सप्तम आकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि इस तरह के प्रश्नों के प्रयोग से विद्यार्थियों को उत्तर अपने मन से लिखना पड़ता है। रटने कि जरूरत नहीं होती है। ज्यादा लगन से समझने की कोशिश करते है।
अष्टम आकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि सप्ताह में तीन दिन ही सामाजिक विज्ञान विषयों को पढ़ाने से भी प्राप्त आकड़ें संतोषजनक है।
नवम आकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि छात्रों में भूलने की प्रवृति से निजात दिलाने के लिए भाषण प्रतियोगिता, तक्षण भाषण, क्विज प्रतियोगिता, समूह साथी अध्ययन, परियोजना कार्य कराना जरूरी है। इन कार्यों में विद्यार्थियों कि दिलचस्पी बढ़ी है, देखी गयी।
दशम आकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि विद्यार्थियों में कई भ्रांति प्रचलित थे, जैसे- सामाजिक विज्ञान के विषय को रटना पड़ता है, रात में पढ़ो दिन में साफ, इस विषय का कोई भविष्य नहीं है इत्यादि। इस तरह कि भ्रांति समाप्त हो गयी।
ग्यारहवाँ आकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि जिस प्रकरण को कक्षा के बाहर अर्थात अध्ययन क्षेत्र में ले जाकर पढ़ाया जाता है ज्यादा समझ में आता है। विद्यार्थियों ने पुस्तक से हटकर भी ज्ञान प्राप्त किए। विद्यार्थियों का कहना था कि इस तरह कि पढ़ाई से कभी भी नहीं भूल सकते हैं।
बारहवाँ आकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि कक्षा में पाठ्यपुस्तकों का उपयोग नहीं करने से ध्यान नहीं भटकता है। विद्यार्थियों का ध्यान शिक्षक द्वारा बताए गए कार्यों पर रहता है। प्रभाव संतोषजनक था।
निष्कर्ष
निष्कर्ष के तौर पर यह कहा जा सकता है कि सामाजिक विज्ञान के विषयों को पुरानी पद्धति यानि पुस्तकों के द्वारा नहीं पढ़ाना चाहिए। आज दुनिया विज्ञान कि तरफ दौड़ रहा है। प्रत्येक विद्यार्थियों में सोचने, समझने और तर्क करने की शक्ति में इजाफा हुआ। इसको आगे बढ़ाने में सामाजिक विज्ञान के विषयों को उसी स्तर तक ले जाने की जरूरत है। यह तभी संभव होगा। जब इन विषयों का शिक्षण कार्य बताए गए विश्लेषण से संबधित हो।
योजना का महत्व
इस योजना का महत्व इस दृष्टिकोण से है कि विद्यार्थियों में सामाजिक विज्ञान के विषयों के प्रति उदासीनता है, उस उदासीनता को समाप्त करने का प्रयास किया गया है। इसमें उन उदासीनता के कारणों पर विचार किया गया है तथा उसका निवारण करते हुए दूर करने का प्रायास किया गया है। यह पूर्ण रूप से प्रयोग पर आधारित है। यह अनुसंधान कार्य उन सभी सामाजिक विज्ञान के शिक्षकों के लिए उपयोगी है जो विद्यालय में पढ़ाते हैं।     

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