Thursday, 14 February 2019

पाठ योजना- 25



पाठ योजना- 25              

विद्यालय का नाम- 
दिनांक- 22/10/2018                                                          कक्षा- 9वीं 
विषय- सामाजिक विज्ञान                                                    कालांश- द्वितीय       
उपविषय- इतिहास                                                           अवधि- 40 मिनट
प्रकरण- महिलाओं के संदर्भ में बने कानून        
समान्य उद्देश्य
पूर्वत
विशिष्ट उद्देश्य 
1.     विद्यार्थी महिलाओं के संदर्भ में बनाए गए कानून को जान पाएंगे।  
2.     विद्यार्थी महिलाओं के ऊपर हो रहे अत्याचार पर बने कानून के द्वारा व्याख्या कर पाएंगे।
3.     समाज में विद्यार्थी महिलाओं पर बने कानून के द्वारा महिलाओं को जागृत कर पाएंगे।
4.     महिलाओं के ऊपर हो रहे अत्याचार व अन्याय के विरुद्ध विद्यार्थी आवाज उठा पाएंगे।     
 कक्षा पूर्व तैयारी
·       विषय वस्तु संवर्धन
इस विषय पर उपलब्ध पुस्तकें एवं इंटरनेट पर उपलब्ध सामग्री का अध्ययन.   
·       शिक्षण सहायक सामग्री
चॉक, डस्टर, पोस्टर  
प्रस्तावना
छात्राध्यापक विद्यार्थियों से निम्नलिखित प्रश्न पूछकर पूर्व ज्ञान से जोड़ेंगे-
1.     महिलाओं पर अत्याचार कौन करता है?
2.     महिलाओं पर किस प्रकार के अत्याचार किए जाते हैं?
3.     दहेज लेना व देना क्या यह अपराध है?
4.     महिलाओं पर अपराध न हो इसके लिए क्या करना चाहिए?

          प्रस्तुतीकरण
प्रकरण (विशिष्ट उद्देश्य के अनुसार)
क्रियाकलाप

v महिलाओं के संदर्भ में कानून



































o  पारिवारिक न्यायालय (1984)















o  गुजारा भत्ते का मुकदमा (1984)



























o  सती प्रतिबंधित कानून



















o  मानवाधिकार रक्षा कानून




























o  महिलाओं के लिए आरक्षण   





















 
·       छात्राध्यापक महिलाओं के संदर्भ में कानून बताने के लिए कक्षा में पोस्टर दिखाएंगे, जिसमें सूचनाएँ निम्नलिखित बिन्दुओं में उल्लेखित करेंगे- 
1.     वर्ष 1952 के कानून के अनुसार भारत सरकार ने हिन्दू स्त्रियों को गुजारा भत्ते का अधिकार दिया। पिता की संपत्ति में हिस्से का अधिकार दिया। बहुपत्नीत्व प्रणाली समाप्त हुई और पुरुषों की भांति स्त्रियों को भी संबंध विच्छेद (तलाक) का अधिकार मिला।  
2.     दहेज प्रतिबंधित कानून (1961)- इस कानून के अनुसार दहेज लेना अथवा मांगना फौजदारी अपराध माना गया।
3.     1984 में दहेज प्रतिबंधित सुधार अधिनियम अस्तित्व में आया।
4.     वर्ष 1988 में 2209 महिलाएं, 1990 में 4835 और 1993 में 5377 महिलाएं दहेज की शिकार बनी।
·       इसके बाद छात्राध्यापक पोस्टर के आधार पर विस्तार से बताएँगे।
·       छात्राध्यापक पारिवारिक न्यायालय (1984) बताने के लिए कक्षा में इसी पोस्टर को दिखाएंगे। सूचनाएँ निम्नलिखित बिन्दुओं में उल्लेखित रहेगा-   
1.     विवाह के पश्चात उत्पन्न होने वाले विवाद, घर-गृहस्थी से संबंधित समस्याएँ और कारण निर्माण होने वाले उसके प्रश्न, गुजारा भत्ता, एकल पालकत्व, अलग रहना, संतानों का पालन पोषण और स्वामित्व जैसी पारिवारिक समस्याओं से संबंधित विवादों का हल निकालने के लिए पारिवारिक न्यायालय स्थापित किए गए।
·       छात्राध्यापक गुजारा भत्ते का मुकदमा (1984) बताने के लिए कक्षा में इसी पोस्टर को दिखाएंगे। सूचनाएँ निम्नलिखित बिन्दुओं में उल्लेखित रहेगा-
क.   यदि किसी विवाहित स्त्री से उसका पति संबंध विच्छेद (तलाक) कर देता है तो उस स्त्री का गुजारा होने हेतु उसके पति को उसे प्रतिमाह निश्चित राशि देनी पड़ती है।
ख.   उच्चतम न्यायालय में मुहम्मद अहमद खान बनाम शाहबानो बेगम मुकदमे में न्यायालय ने यह निर्णय सुनाया कि शाहबानो को गुजारा भत्ता मांगने का अधिकार है। परिणाम स्वरूप संसद में मुस्लिम वुमेन एक्ट (प्रोटेक्शन ऑफ राईटस ऑन डाइवोर्स) पारित हुआ।  
·       छात्राध्यापक इसी पोस्टर में सती प्रतिबंधित कानून को बताएँगे। सूचनाएँ निम्नलिखित बिन्दुओं में उल्लेखित रहेगा-
A.   4 सितंबर, 1987 को राजस्थान के देवरा गाँव में रूपकुंवर नाम की विवाहिता को सती होने के लिए बाध्य किया गया और वह सती हो गई।
B.    मीना मेनन, गीता सेधू, सुजाता आनंदन, अनू जोसेफ, कल्पना शर्मा आदि नारी मुक्तिवादी कार्यकर्तियों और पत्रकारों ने इस घटना की जांच-पड़ताल की थी।
C.    सरकार ने वर्ष 1988 में कड़े प्रावधान कर सती प्रतिबंधित कानून पारित किया। 
·       पोस्टर के आधार पर छात्राध्यापक विस्तार से बताएँगे।

·       छात्राध्यापक इसी पोस्टर से  मानवाधिकार रक्षा कानून को बताएँगे। सूचनाएँ निम्नलिखित बिन्दुओं में उल्लेखित रहेगा-
1.     स्त्री और पुरुष पर होने वाले अन्याय को दूर किया जा सके, इसलिए वर्ष 1993 में यह कानून बनाया गया।
2.     इसके लिए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का गठन किया गया।
3.     इसी आधार पर कुछ राज्यों में राज्य मानवाधिकार आयोग की स्थापना की गई।
4.     इस कानून के अनुसार सामूहिक अत्याचार, संबंध विच्छेदित (तलाक़शुदा) महिलाओं की सामाजिक दशा, महिलाएं और सुरक्षित कार्य स्थान जैसे विभिन्न विभिन्न विषयों पर कानून ने प्रभावशाली भूमिका निभाकर महिलाओं पर होने वाले अन्याय को दूर करने में सहायता की।
·       छात्राध्यापक इसी पोस्टर से  महिलाओं के लिए आरक्षण को बताएँगे। सूचनाएँ निम्नलिखित बिन्दुओं में उल्लेखित रहेगा-
1.     73 वें एवं 74 वें संविधान संशोधन द्वारा ग्राम पंचायत, पंचायत समिति, जिला परिषद, नगर परिषद और महानगरपालिकाओं (नगरनिगम) में महिलाओं के लिए एक तिहाई स्थान आरक्षित रखे गए हैं।
2.     सरपंच, अध्यक्ष, नगराध्यक्ष, महापौर (मेयर) जैसे पदों के लिए भी एक तिहाई पद महिलाओं के लिए आरक्षित रखे गए हैं।
3.     देश में महाराष्ट्र के साथ-साथ 15 राज्यों में महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण दिए गए हैं।

 पुनरावृत्ति
छात्राध्यापक पाठ की पुनरावृत्ति कराने से पहले विद्यार्थियों से निम्नलिखित प्रश्न पूछकर पाठ की जांच करेंगे-
1.     दहेज प्रतिबंधित कानून कब बना था?
2.     महिलाओं के लिए आरक्षण की बात क्यों की जाती है?
        पाठ की जांच में कमियों का पता चलने तथा पूर्ण पाठ को संक्षिप्त में प्रस्तुत करेंगे। संक्षिप्त में पाठ प्रस्तुत करने के बाद छात्राध्यापक कहेंगे कि इस विषय पर कोई आपकी जिज्ञासा या प्रश्न हो तो पूछ सकते हैं। यदि विद्यार्थी कोई प्रश्न पूछता है तो छात्राध्यापक बताएंगे।
गृह कार्य
1.     महिलाओं पर होने वाले अत्याचार की सूची बनावें?
2.     आज भी महिलाएं सभी क्षेत्र में आगे नहीं आ पायी है इसके लिए आप क्या उपाय करेंगे? 
गृह कार्य की जांच



आत्म मूल्यांकन एवं मनन


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