- चन्दन कुमार, एस आर एफ (यूजीसी)
पी -एच. डी., विकास एवं शांति अध्ययन विभाग
महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय, वर्धा.
स्मार्ट सिटी के प्रमुख अवसंरचना
तत्वों में शामिल है- प्रयाप्त जलापूर्ति, सुनिश्चित विद्युत आपूर्ति, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन सहित सफाई, सक्षम शहरी
गतिशीलता और सार्वजनिक परिवहन, गरीबों के लिए किफायती आवास, सक्षम आईटी कनैक्टिविटी और डिजिटेलाइजेशन, सुशासन
के अंतर्गत ई-गवर्नेंस और नागरिक भागीदारी, सुस्थिर पर्यावरण, महिलाओं, बच्चों और वृद्ध नागरिकों की सुरक्षा एवं
स्वास्थ्य और शिक्षा। स्मार्ट सिटी मिशन का उद्देश्य लोगों के जीवन की गुणवत्ता
में सुधार करने के लिए आर्थिक विकास करना, बेहतर स्थानीय
क्षेत्र विकास और प्रौद्योगिकी का उपयोग शामिल है। क्षेत्र आधारित विकास स्लमों
समेत विद्यमान क्षेत्रों (रिट्रोफिट और पुनर्विकास) को बेहतर नियोजित क्षेत्रों
में बदल कर, संपूर्ण शहर की वास-योग्यता में इजाफा करना।
शहरी क्षेत्रों में बढ़ रही जनसंख्या को स्थान मुहैया कराने के लिए शहरों के आस-पास
नए क्षेत्रों (हरित क्षेत्र) को विकसित करना। स्मार्ट समाधानों के प्रयोग से शहरी
अवस्थापन और सेवाएं बढ़ाने के लिए प्रौद्योगिकी जानकारी और आकड़ों का उपयोग करना। इस
तरह के तरीके से व्यापक विकास, जीवन की गुणवत्ता बढ़ाना, रोजगार उत्पन्न करना और सभी के लिए विशेष तौर से गरीबों और वंचितों की आय
बढ़ाते हुए समावेशी शहरों का मार्ग प्रशस्त करना। स्मार्ट सिटी की विशेषता में
बेशुमार रहेगा- मिश्रित भूमि उपयोग को बढ़ावा, भीड़भाड़, वायु प्रदूषण एवं संसाधन विलोपन को कम करना,
स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना, परस्पर वार्तालाप तथा
सुरक्षा सुनिश्चित करना, नागरिकों की जीवन गुणवत्ता बढ़ाना, क्षेत्रों में शहरी गर्मी के प्रभाव को कम करने तथा सामान्यतया
पारिस्थितिकी की संतुलन को बढ़ावा देने के लिए खुले स्थानों,
पार्कों, खेल के मैदानों और मनोरंजनात्मक स्थानों को
परिरक्षित और विकसित करना, परिवहनोन्मुखी विकास, सार्वजनिक परिवहन और अंतिम दूरी पैरा परिवहन कनैक्टिविटी को बढ़ावा देना, ऑनलाइन मानीटरिंग, मोबाइल का उपयोग, नगर कार्यालयों में जाए बिना सेवाएँ प्रदान करना,
स्थानीय आहार, स्वास्थ्य, शिक्षा, कला-कृतियों और शिल्प-संस्कृति, खेल की वस्तुओं, फर्नीचर, हौजरी, वस्त्र, डेरी इत्यादि जैसे इसके मुख्य कार्याकलापों के आधार पर शहर को एक पहचान
देना, क्षेत्रों को आपदाओं से सुरक्षित बनाना, कम संसाधनों का उपयोग करना और सस्ती सेवाएं प्रदान करना है।
शहरीकरण का ही परिणाम रहा कि लधु एवं
कुटीर उद्योग गांवों से पलायन कर शहरों में बड़े पैमाने पर बड़े उद्योगों के रूप में
धारण कर लिया। आज गांव के किसान सिर्फ खेती के बल पर किसी तरह जीवित है। कृषि
व्यवस्था दम तोड़ रही है। कृषि लागतों तथा उत्पादों पर कई तरह के संरक्षण और
सबसिडियां उपलब्ध कराई जाती रही, इनमें से अधिकांश लाभान्वित होने वाले बड़े किसान एवं
भू-माफिया ही रहते है। भूमि सुधारों को लागू न किए जाने से ग्रामीण अर्थव्यवस्था
में विषमता के आधारों में लगातार विस्तार हुआ और देश की व्यापक कृषि आबादी,
जिनमें बड़ा हिस्सा भूमिहीन मजदूरों के रूप में काम करने वालों का है,
निरंतर पलायन के कारण कृषक के लिए गंभीर समस्या है। लागत मूल्य भी
ऊपर कर पाना किसी-किसी किसान के लिए संभव नहीं हो पाता है। जिसके परिणामस्वरूप आज
हमें किसान आत्महत्या के रूप में देखने-सुनने को मिल जाता है। इस तरह देश के
किसानों-मजदूरों और कारीगरों के प्रति की गयी लापरवाही ने गांव को दरिद्र, मूढ़ और काहिल बनाकर छोड़ा है। गांवों के प्रतिनिधि, उनके
हितों का पोषण करनेवाले नहीं, बल्कि उनके शोषक बनकर रह गए
है। श्री हिगिन बॉटम ने कहा था कि, भारत के अधिकतम लोग गरीबी
के शिकार हैं। आबादी के दशांक का मुश्किल से एक वक्त और वो भी सूखी रोटी और चुटकी
भर नमक खाकर रहना पड़ता है....आज भारत की स्थिति यह है कि यदि आप दूर देहात के
भीतरी हिस्से में जाएं तो वहां देखेंगे कि गांव-गांव नहीं कुड़े का ढेर बनते जा रहे
हैं, वहां ग्रामीण नहीं चील और गिद्ध रहते हैं, क्योंकि ग्रामीण लोग अपने बलबूते अपना गुजारा भी नहीं कर सकते और वे जीती
जागती लाशें बनकर रह गए हैं। उसमें अब स्मार्ट सिटी का कार्यान्वयन, इससे बची-खुची ग्रामीण श्रमिक एवं बुद्धिजीवी वर्ग का पलायन बड़े पैमाने
पर होना संभव है। जिसके चलते कृषक अपनी जमीन बेचने पर मजबूर होंगे और बड़े पैमाने
पर भूमि अधिग्रहण होंगे और वही कृषक भविष्य में उस खेत के मजदूर होंगे।
शहरीकरण और आर्थिक जगत में सबसे
घनिष्ठ सम्बन्ध है। अनेक अप्रत्यक्ष प्रभावों के अतिरिक्त शहरीकरण का प्रभाव पूंजी
के संचय, निवेश
और औद्योगीकरण पर पड़ता है। जो गांव के शोषण पर निर्भर करता है। यह बात स्पष्ट है
कि शहरीकरण और औद्योगीकरण में बहुत गहरा सम्बन्ध है। दोनों साथ-साथ चलते हैं और
दोनों का सह सम्बन्ध घनात्मक है। प्रो. किग्सले डेविस तथा गोल्डन ने कार्ल पीपर्सन
के सूत्र का प्रयोग करके शहरीकरण और औद्योगीकरन के बीच 0.86
का सह-सम्बन्ध स्थापित किया था। आर्थिक विचारों का इतिहास भी शहरीकरण और आर्थिक
विकास के बीच घनिष्ठ सम्बन्धों को स्वीकार करता है। भारत में शहरीकरण पर हुई एक
विचार गोष्ठी में किग्सले डेविस ने इस सम्बन्ध को और भी अधिक स्पष्ट रूप में
व्यक्त किया। उनके अनुसार बिना औद्योगिकरण के शहरीकरण सम्भव नहीं है। संसार में
कोई भी राष्ट्र ऐसा नहीं है जिसने आर्थिक विकास के साथ शहरीकरण का अनुभव न किया
हो। उसमें अब स्मार्ट सिटी जिसमें औद्योगिकरण भी बड़े पैमाने पर होगा और
बहुराष्ट्रिय कंपनियां एवं मॉल की बाढ़ होगी। छोटे-मंझोले और फुटपात के दुकानदार का
पत्ता साफ हो जाएगा।
गांव
और शहर के सवाल पर 1946 में संवाददाताओं द्वारा गांधीजी से
पूंछे जाने पर की क्या आप नगरवासियों को फिर से गांव भेज देंगे? तो गांधीजी ने कहा था कि, नहीं वह तो नहीं करूँगा,
मैं बस इतना ही चाहता हूँ कि शहरी अपने जीवन को इस तरह ढाले जिससे
वह गांव वालों का शोषण बंद कर सके और ग्रामवासियों की बिगड़ी अर्थव्यवस्था को
पुनर्जीवित करने में सहायता देकर जहां तक संभव हो उसकी क्षतिपूर्ति करें। गांधीजी का
मानना था कि, यदि भारत को विनाश से बचाना है तो सीढ़ी के सबसे
निचले भाग से शुरू करना होगा। यदि निचला भग सड़ा हुआ है तो ऊपर और बीच के हिस्सों
पर किया गया काम अन्त में गिर पड़ेगा। यानि गांधी जी भारत की समृद्धि और विकास की
बात गांवों से शुरू करने की बात करते हैं। रवीन्द्र नाथ टैगोर जी कहना था कि ‘भारत माता (गांव) को पद से गिराकर गांव के साधनों को शहरों में खींच कर
नौकरानी बना दिया है।’ स्मार्ट सिटी में उत्पादित माल का
उपयोग फिर ग्रामीण अधिक कीमत चुका कर करेंगे। ग्राम संस्कृति अभी दरिद्रता,
निरक्षरता एवं पिछड़ापन का पर्याय है। समाज वैज्ञानिकों
का मानना है कि यदि नगरीकरण का रफ्तार रहा तो आने वाले समय में शायद भारत में गांव
रहेंगे नही। इस तरह के शोषण ने गांधीजी को यह कहने पर मजबूर किया था कि ‘गांवों का खून शहरों की इमारत में लगा सीमेंट है। मैं चाहता हूं कि वह खून
जो शहरों की अंतड़ियों में बह रहा है वह फिर गांवों के शरीर में वापस आ जाए।’
जबकि गांव हमारे देश और राज्य के विकास का मुख्य आधार है, क्योंकि पेड़ो की वृद्धि के लिए जड़ो का मजबूत होना जरूरी है।
भारत की समृद्धि गांव के विकास से ही
संभव है। भारत को विनाश से बचाने के लिए गांव को स्मार्ट बनाना जरूरी है, नहीं तो स्मार्ट सिटी
काल के गाल के समान है।